Tuesday 26 January 2010

विराम

प्रारम्भ तो है यह
और इसके पहले की बिन्दु
दिन के अंधेरे की तरह
विद्रोही
असमर्थ
अनउद्भावित
निराकार निरर्थक
नि:सन्देह नाकाम

और रात में कफ़न पर
पथरायी-सी छाया।

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