Friday 19 February 2010

आख़िरी

शब्दों के परे के शब्द
कैसे मिलेंगे
कहाँ पर

समय के परे भी
कोई समय तो होगा
भले सिर्फ़ एक हाथ वाला
अपनी हीं कुहनी ढकेलता हुआ

Saturday 6 February 2010

शब्द ढल रहे हैं

शब्द ढल रहे हैं

काँटों के पार
शब्दों का घूमना ज़रुरी है
और उससे भी ज़्यादा
एक ठहरना

काले के बाद का रंग ज़ंग होता है।